Roza Kholne aur Rakhne ki Dua: माहे रमजान में रोजा रखने और खोलने के लिए ये दुआ पढ़ें

Roza Kholne aur Rakhne ki Dua: माहे रमजान में रोजा रखने और खोलने के लिए ये दुआ पढ़ें

Roza Kholne aur Rakhne ki Dua in Ramadan 2024: देशभर में कल यानी 12 मार्च से रमजान की शुरुआत हो रही है। रोजा रखने के लिए कुछ दुआएं पढ़ना जरूरी होता है। हम आपके साथ रोजा खोलने और रोजा रखने की दुआ शेयर कर रहे हैं।

Roza Kholne aur Rakhne ki Dua

इस्लाम धर्म में रमजान बहुत ही फजीलत वाला महीना है। माहे-रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौंवा महीना होता है, जिसका इंतजार हर मुसलमान बेसब्री से करता है। इस महीने में रोजा रखना फर्ज किया गया है। यह महीना नेकी कमाने और गुनाहों से तौबा करने का महीना होता है। इस महीने में कसरत से अल्लाह की इबादत की जाती है। रमजान का महीना शुरू होते ही रोजगारों के सब्र का कड़ा इम्तिहान शुरू हो जाता है।

इस पाक महीने में मुसलमान अपनी ख्वाहिशों पर पाबंदी लगाकर सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की इबादत करते हैं। हालांकि इबादत के लिए दुआओं का याद होना जरूरी है,क्योंकि रोजा रखने से लेकर रोजा खोलने तक के लिए दुआएं पढ़ी जाती है। वहीं कुछ लोग दुआएं भूल जाते हैं, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। हम रमजान में पढ़ी जाने वाली खास दुआओं के बारे में आपको बारीकी से जानकारी दे रहे हैं।

Roza Kholne aur Rakhne ki Dua-रोजा रखने की नियत (Roza Rakhne Ki Niyat)

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Roza Kholne aur Rakhne ki Dua

नियत यानी कि किसी काम को करने का दिल से इरादा करना। इसी तरह से रमजान का रोजा रखने के लिए दिल में पक्का इरादा करना होता है। जब आप नियत करके रोजा रखते हैं तो इससे आपको सुकून मिलता है और अल्लाह आप के रोजे और इबादत को कबूल फरमाता है। इस्लाम में नियत की बहुत ही बड़ी अहमियत है, बिना नियत की कोई भी इबादत या दुआ कबूल नहीं होती है। इस्लाम में रोजा रखने का नियत करने के लिए कुछ दुआ मुकर्रर किए गए हैं।

Roza Kholne aur Rakhne ki Dua-रोजा रखने की दुआ (Roza Rakhne Ki Dua)

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Roza Kholne aur Rakhne ki Dua

इस्लाम में रोजा रखने का नियत करने के लिए कुछ दुआ मुकर्रर की गई हैं। नियत की दुआ पढ़ने के बाद अगर कोई कुछ खा ले तो वह रोजा नहीं माना जाता है। इसके अलावा आप नियत करने के बाद पूरे दिन कुछ भी खा नहीं सकते हैं।हम आपके साथ सहरी यानी कि रोजा रखने की दुआ शेयर कर रहे हैं। (रमजान से जुड़े कुछ रोचक बातें जानें)

Roza Kholne aur Rakhne ki Dua-रोजा खोलने की नियत ( Roza Kholne Ki Niyat)

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Roza Kholne aur Rakhne ki Dua

सुबह से लेकर दिन भर अल्लाह की इबादत करने के बाद रोजा खोलने की नियत शाम के वक्त इफ्तार के दौरान की जाती है। यह नियत अजान के बाद ही की जाती है, अगर इससे पहले की गई तो आपका रोजा मकरू हो जाता है। (जकात और फितरा के बारे में जानें)

रोजा खोलने की दुआ ( Roza Kholne Ki Dua)

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Roza Kholne aur Rakhne ki Dua

मगरिब की अजान होती है तो खजूर खाकर या पानी पीकर दुआ पढ़ते हुए हम रोजा खोलते हैं।  कुरान पाक में अल्लाह ताला फरमाता है कि रोजा खोलने से पहले हर मुसलमान को दुआ पढ़ना वाजिब है। दुआ को पढ़ने से आपको सवाब मिलता है। खाने में बरकत होती है और आप की दुआ कबूल होती है। यह दुआ खजूर खाने से पहले पढ़ी जाती है।

रोजा रखने का तरीका (Roza Rakhne Ka Tarika)

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Roza Kholne aur Rakhne ki Dua

रोजा रखने के लिए एक पूरा प्रोसेस फॉलो करना पड़ता है। सबसे पहले फज्र यानी सुबह की नमाज से पहले सहरी खाई जाती है और अजान की आवाज आने से पहले तक नियत करके दुआ पढ़ी जाती है इसके बाद सुबह की नमाज अदा की जाती है। 

रोजा खोलने का तरीका (Roza Kholne Ka Tarika)

जिस वक्त मुसलमान रोजा खोलते हैं उस वक्त को इफ्तार के नाम से जाना जाता है। यह वक्त सूरज ढलने के बाद से शुरू होता है। अजान से कुछ 5 मिनट पहले ही वुजु बना कर दस्तरखान के सामने बैठ कर तब तक दुआ की जाती है जब तक अजान ना हो जाए। अजान की आवाज सुनते ही दुआ पढ़ कर खजूर और पानी से रोजा खोलते हैं। इफ्तार के बाद मगरिब की नमाज अदा की जाती है।

हमें उम्मीद है कि आपको ये तमाम दुआएं समझ में आ गई होंगी। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। 

Image Credit- Freepik

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